महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाद अब शिवसेना को लेकर घमासान तेज हो गया है. बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने सोमवार को अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक की जिसमें पार्टी की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर दी गई. शिंदे गुट ने इसके साथ ही नई कार्यकारिणी का भी ऐलान कर दिया. नई कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया नेता चुन लिया गया है.
सबसे खास बात यह है कि शिवसेना ने पार्टी प्रमुख के पद को नहीं हटाया है. यानी उद्धव ठाकरे का पद वैसे ही बना हुआ है. आज जैसे ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान खत्म हुआ उसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने 40 विधायकों के साथ एक पांच सितारा होटल पहुंच गए. इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की जानकारी किसी को भी नहीं थी. इस बीच दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव में शामिल होने के लिए शिवसेना के सांसद दिल्ली पहुंच गए थे.
19 सांसदों में से 12 सांसद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए. बताया जा रहा है कि शिवसेना से अलग होकर 40 विधायकों और 12 सांसदों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नई कार्यकारिणी का प्रमुख नेता चुन लिया. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एकनाथ शिंदे ने फिलहाल शिवसेना प्रमुख पद को हाथ नहीं लगाया है. इसका मतलब साफ है कि उद्धव ठाकरे अभी भी शिवसेना के अध्यक्ष बने रहेंगे.
एकनाथ शिंदे द्वारा नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने के बाद शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि अगर दो तिहाई सांसद एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो ही जाते हैं तो यह मामला यहीं खत्म नहीं होता है. इसके बाद हम इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.
संजय राउत ने कहा कि जो लोग पहले से ही बागी हैं और उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है, ऐसे में वह नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कैसे कर सकते हैं. इधर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उद्धव ठाकरे गुट ने वरिष्ठ नेता रामदास कदम और पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को शिवसेना से निकाल दिया है. शिवसेना सांसद विनायक राउत ने इसकी जानकारी दी है.