2019 लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) के रूप में तीसरे राज्य में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस सफल रहा. हालांकि इस राज्य में पार्टी को इसके लिए करीब ढाई साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. राजस्थान में ऑपरेशन लोटस की असफलता के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र में तख्तापलट के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ने की रणनीति बनाई थी. हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना में असंतोष भड़कने का इंतजार किया.
इन सबके बीच जाते-जाते उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसे मानना पड़ेगा. मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ने की कोई चिंता नहीं, दुख नहीं है. मैं जो करता हूं शिवसैनिक, मराठी और हिंदुत्व के लिए करता हूं. मैं चुप बैठने वाला नहीं हूं. मैं डरने वाला नहीं हूं. मैं बृहस्पतिवार से शिवसेना भवन में बैठूंगा. शिवसैनिकों से संवाद करूंगा और नई शिव सेना तैयार करूंगा. शिव शिव सेना ठाकरे परिवार की है और इसे हम से कोई नहीं छीन सकता. कई शिव सैनिकों को नोटिस भेजा गया है. मेरी शिवसैनिकों से अपील है कि जब बागी विधायक मुंबई आए तो कोई उनके सामने ना आए, वह सड़कों पर न उतरे.
उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें शिवसेना ने बड़ा बनाया, जिन चाय वाले, रेहड़ी वाले को पार्षद बनाया, विधायक, सांसद और मंत्री बनाया, वह शिवसेना के उपकार को भूल गए और दगाबाजी की. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद जो संभव था वह दिया. फिर भी वह नाराज हो गए. यह जो हुआ वह अनपेक्षित था.
ढाई साल तक महा विकास आघाडी सरकार चलाने में सहयोग के लिए उन्होंने कांग्रेस, एनसीपी, मंत्रियों का आभार प्रगट किया. कहा अलग अलग विचारधारा के बावजूद हमने अच्छी सरकार चलाई. उन्होंने मुख्य सचिव समेत अपने कार्यालय के स्टाफ का भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा 2.5 साल के कार्यकाल के दौरान सहयोग के लिए धन्यवाद. मुझसे कोई भूल हुई हो, अपमान हुआ हो तो क्षमा करें.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि जैसे आया था वैसे ही जा रहा हूं. मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ने का कोई दुख नहीं है. मैं आया भी अनपेक्षित रूप से था और जा भी अनपेक्षित रूप से रहा हूं. मतलब हमेशा के लिए नहीं जा रहा. यहीं रहूंगा और शिवसेना भवन में फिर जाकर बैठूगां. अपने सभी लोगों को एकत्र करुंगा.